अनिल कार्की - प्योली और चिड़िया

स्त्री मरने के बाद चिड़िया बनती है या फिर बनती है फूल। वह बदला नहीं लेती फूल बनना ही होता है एक दिन उठी बंदूक़ का मक़सद भी या कि घर की चौहद्दियों से पार जाते क़दमों का मक़सद भी चिड़िया बनना ही होता है जब निपट लाल रंग हरियाता है तो पीले रंग में बदल जाता है तब पथरीली ज़मीनों पर प्रेमिका बनी स्त्री सबसे पहले वसंत का परचम लहराती है गाती है कहीं किसी डाने में साल पर बैठकर चिड़िया।